91- प्रगति
जाने क्यों आदमी
दिन को भी,
रात बना रहा है,
सूर्य की रोशनी मे भी
बिजली का बल्ब,
जला रहा है !

*******
92- परिभाषा
प्रजात्रंत की भी
एक परिभाषा है,
पाँच साल का
अन्तर,
आदमी और नेता में
हो जाता है !

*******
93- गणेश चतुर्थी
गणेश चतुर्थी और
गणेश विसर्जन ने भी
आदमी को कुछ
सिखाया है,
प्रजातंत्र में
कुर्सी पर
बैठाने-उठाने का,
नया दौर चलाया है !

******
94- दुर्घटना
स्वार्थ ने,
मानवता का साँधा
बदल दिया है,
आज आदमी, आदमी की
पटरी से
उतर गया है !

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95- विकलांग वर्ष
जाने क्यों आदमी
दिन को भी,
रात बना रहा है,
सूर्य की रोशनी मे भी
बिजली का बल्ब,
जला रहा है !

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92- परिभाषा
प्रजात्रंत की भी
एक परिभाषा है,
पाँच साल का
अन्तर,
आदमी और नेता में
हो जाता है !

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93- गणेश चतुर्थी
गणेश चतुर्थी और
गणेश विसर्जन ने भी
आदमी को कुछ
सिखाया है,
प्रजातंत्र में
कुर्सी पर
बैठाने-उठाने का,
नया दौर चलाया है !

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94- दुर्घटना
स्वार्थ ने,
मानवता का साँधा
बदल दिया है,
आज आदमी, आदमी की
पटरी से
उतर गया है !

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95- विकलांग वर्ष
1 comment:
wahh sundar kataaksh .. subhkamnaye :)
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