11 March 2006

विद्वानो की समीक्षात्मक टिप्पणी

कुछ पाठकीय प्रतिक्रयाएँ
************

प्रिय भाई रमेश,
आपने एक राष्ट्रीयकृत बैंक(देना बैंक) के शाखा प्रंबधक के पद को छोड़कर साहित्य के क्षेत्र में कदम रखा है। भगवान आपको बहुत-बहुत प्रगति देवें। मेरी ओर से आपको अनेक-अनेक शुभ-कामनाएँ एवं बार-बार बधाई।
-अशोक चक्रधर
***********


यह किताब सभी को सुख दे तथा आलोचक मित्र इस किताब को उसी सरलता और सहज भाव से अपना स्नेह दें, जिस सरलता और सहज भाव से रमेशजी ने इसे प्रस्तुत किया है। यही कामना, यही शुभकामना।
- सुभाष काबरा, मुम्बई
********
आपका प्रथम क्षणिका संग्रह अत्यनत प्रशंसनीय है। जैसे प्रणायाम शरीर को स्वस्थ व ऊर्जावान बनाता है वैसे ही क्षणिका संग्रह 'शब्द प्राणायाम` सुधी पाठकों के मानसिक स्वास्थय में नवशक्ति संचार करता है।
श्री कमल पटेल (राजस्व मंत्री, मध्य प्रदेश शासन)
********
क्षणिकाएँ पठनीय हैं, प्रभावी हैं, सुन्दर सजधज तथा व्यंग्य चित्रों से पंक्तियों को आलोकित करती क्षणिकाओं हेतु बधाई।
चन्द्रसेन विराट
*******
क्षणिकाएँ आम आदमी के बहुत निकट हैं। 'पानी की एक बूँद` ने बहुत प्रभावित किया।
प्रेम जनमेजय (दिल्ली)
*******

क्षणिकाओं के माध्यम से आम जन की पीड़ा को आपने अभिव्यक्ति दी है। आपका यह तेवर बना रहे।
राजेन्द्र परदेसी (लखनऊ)
*******
कुछ मौलिक कल्पना, कुछ नए प्रतीक और सादृश्य आपकी कविता को शक्ति दे रहे हैं।
डॉ० अनिल गहलोत (मथुरा)
********
क्षणिकाएँ बहुत प्रभावी हैं। घर-घर में बड़े-बूढ़, बच्चे, युवा सबके पढ़ने लायक हैं।
दिलीप चन्द्रवंशी (हरदा)
********

क्षणिकाओं ने पूरे परिवार को गदगद कर दिया।
श्री ओ.पी.पंडित (पूर्व मैनेजर, देना बैंक)
********
क्षणिका संग्रह जैसे ही प्राप्त हुआ, पूरा पढ़कर ही छोड़ा ।
श्री अयर साहब (पूर्व मैनेजर, देना बैंक)
********
क्षणिकाओं के माध्यम से आप बहुत बड़ी समस्याएँ व्यंग्यात्मक ढंग से सहजता के साथ कह देते हैं।
प्रेम प्रकाश सचदेवा (मैनेजर, देना बैंक)

*********

क्षणिकाएँ सहज, सरल और बोधगम्य हैं।
श्री ए.के.रश्मि (राजभाषा अधिकारी, देना बैंक, मुम्बई)

**********


श्री रमेश कुमार भद्रावले की पुस्तक " शब्द प्राणायाम" छोटी-छोटी क्षणिकानुमा कविताओं का संग्रह है, यह पुस्तक इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है कि इण्टरनेट पर समग्र रूप से सचित्र कविताओं का यह पहला संग्रह है। इन कविताओं को आप प़ें और अपनी प्रतिक्रिया लिखकर रचनाकार को थोड़ा प्रोत्साहित करें ताकि वे पुनः सक्रियता के साथ फिर से अपने रचनाकर्म में जुट जायें। आपकी एक प्रतिक्रिया इस रचनाकार को नई ऊर्जा से भर देगी, प्रतीक्षा रहेगी आप सभी की प्रतिक्रियाओं की।

डा० जगदीश व्योम

**********

achha lagta hai jab kuchh naya samne aata hai
- आशा शैली

**********

ये लिन्क अवश्य देखें- 33- बहन

-लावण्या शाह


*************

No comments: