19 December 2005

शब्द प्राणायाम - 27 - 30

27- ईद

ईद के
अधूरे चाँद ने
मोहब्बत का पैगाम
यूँ दिया,
कि आदमी को आदमी से
गले लगा दिया!





















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28- नागपंचमी

अपने ज़हर को
अमृत बनाने का प्रयत्न
साँप भी करता है,
एक बालक की तरह
दूध,
जी भर कर पीता है!



















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29- पी-एच.डी.

जाने क्यों आदमी
आज,
अपने ज्ञान का
दिवालियापन दिखा रहा है,
सूर और तुलसी की
एक उक्ति पर
पी-एच.डी करके
नेम प्लेट
लगा रहा है!

























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30- दशहरा-१

जाने क्यों आदमी
आज,
हर बार बुराई को
सामने ला रहा है,
दशहरे पर हर साल
रावण जलाकर
सिर्फ, राम को
भुलाया जा रहा है!



















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31- दीपावली-१

स्वागत में,
रात भर जला माटी का
छोटा-सा दिया,
आज तक
लाभ लक्ष्मी का
बडे-बड़े चाँद-सूरज ने
लिया !



















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-रमेशकुमार भद्रावले

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