22- न्याय
न्याय की विश्व में
आज,
कोई परिभाषा होती,
भूख को मारने में
यदि,
रोटी को सज़ा होती!
*****
23- अधूरा चाँद
सबक़,
आदमी को अब
अधूरा चाँद
सिखाये,
आदमी को देखकर
आदमी,
ख़ुशियाँ मनाये !
*****
24- नव वर्ष
बदलकर
निश्चित समय के बाद
नया वर्ष
आता है,
नव वर्ष की
शुभ-कामना देने वाला
आदमी,
जब-चाहे-तब
बदल जाता है!
*****
25- जागरूकता
जागस्र्क होकर
आदमी,
जाग गया है
आज आदमी से आदमी
कितनी दूर
भाग गया है!
******
26- पुण्य
हरी मिर्च खिलाकर
आदमी,
पुण्य कमा रहा है,
पिंजरे के तोते से
आज,
राम नाम जपवा रहा है!
****
-रमेशकुमार भद्रावले
न्याय की विश्व में
आज,
कोई परिभाषा होती,
भूख को मारने में
यदि,
रोटी को सज़ा होती!
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23- अधूरा चाँद
सबक़,
आदमी को अब
अधूरा चाँद
सिखाये,
आदमी को देखकर
आदमी,
ख़ुशियाँ मनाये !
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24- नव वर्ष
बदलकर
निश्चित समय के बाद
नया वर्ष
आता है,
नव वर्ष की
शुभ-कामना देने वाला
आदमी,
जब-चाहे-तब
बदल जाता है!
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25- जागरूकता
जागस्र्क होकर
आदमी,
जाग गया है
आज आदमी से आदमी
कितनी दूर
भाग गया है!
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26- पुण्य
हरी मिर्च खिलाकर
आदमी,
पुण्य कमा रहा है,
पिंजरे के तोते से
आज,
राम नाम जपवा रहा है!
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-रमेशकुमार भद्रावले
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