51- अतिक्रमण
मुहिम,
प्रकृति ने भी
आदमी की तरह
अतिक्रमण की चलाई है,
सुनामी लहरों ने
मुहर, कहर की
झूमती ज़िन्दगी पर
लगायी है !
******
52- आत्मसमर्पण
डाकू का
आत्मसमर्पण क्या हो गया,
चम्बल का शेर
सरकस में
आ गया !
******
53- टेसू
जड़ से
चोटी तक
उसे,
सूखा छोड़ देता है,
होली पर आदमी
टेसू को,
पूरा निचोड़ लेता है !
******
54- रोजगार
काम या बन्दरिया से
सचमुच,
जीवन चलता है,
पेट आदमी का
दोनों से,
पलता है !
******
55- खाद
देशी,
पौधों को
विदेशी,
खाद देकर
बढ़ा रहे हैं,
बच्चों को आज
कॉन्वेन्ट में
पढ़ा रहे हैं !
-रमेशकुमार भद्रावले
*****
मुहिम,
प्रकृति ने भी
आदमी की तरह
अतिक्रमण की चलाई है,
सुनामी लहरों ने
मुहर, कहर की
झूमती ज़िन्दगी पर
लगायी है !
******
52- आत्मसमर्पण
डाकू का
आत्मसमर्पण क्या हो गया,
चम्बल का शेर
सरकस में
आ गया !
******
53- टेसू
जड़ से
चोटी तक
उसे,
सूखा छोड़ देता है,
होली पर आदमी
टेसू को,
पूरा निचोड़ लेता है !
******
54- रोजगार
काम या बन्दरिया से
सचमुच,
जीवन चलता है,
पेट आदमी का
दोनों से,
पलता है !
******
55- खाद
देशी,
पौधों को
विदेशी,
खाद देकर
बढ़ा रहे हैं,
बच्चों को आज
कॉन्वेन्ट में
पढ़ा रहे हैं !
-रमेशकुमार भद्रावले
*****
No comments:
Post a Comment