61- सच्चाई
मुसीबत में आदमी
आज
कुछ इस तरह
ढल रहा है,
कि रोता आदमी भी
आज,
हँसता लग रहा है!
*******
62- बल्ब
बिजली के बल्बों ने
फ्यूज होकर,
आदमी को भी
कुछ सिखाया है,
सीधा सच्चा
हार्ट अटैक का,
नया दौर चलाया है!
*******
63- मौत-लहर
लाठियों से
जहाँ,
हमेशा लकीरें पिटती रही हैं,
जिन्दा है, साँप
लहर मौत की
चलती रही है !
*******
64- दबे पाँव
"दबे पाँव" में
कितना पीछे
बिल्ली को
बिजली छोड़ जाती है,
हज़ारों किलोवाट वाली
पतले से तार से
निकल जाती है!
******
65- फागुन
-रमेश कुमार भद्रावले
*******
मुसीबत में आदमी
आज
कुछ इस तरह
ढल रहा है,
कि रोता आदमी भी
आज,
हँसता लग रहा है!
*******
62- बल्ब
बिजली के बल्बों ने
फ्यूज होकर,
आदमी को भी
कुछ सिखाया है,
सीधा सच्चा
हार्ट अटैक का,
नया दौर चलाया है!
*******
63- मौत-लहर
लाठियों से
जहाँ,
हमेशा लकीरें पिटती रही हैं,
जिन्दा है, साँप
लहर मौत की
चलती रही है !
*******
64- दबे पाँव
"दबे पाँव" में
कितना पीछे
बिल्ली को
बिजली छोड़ जाती है,
हज़ारों किलोवाट वाली
पतले से तार से
निकल जाती है!
******
65- फागुन
-रमेश कुमार भद्रावले
*******
No comments:
Post a Comment