108- पानी
पानी बचाओ
पानी बचाओ
का डंका,
आदमी बजा रहा है,
पानी बचाने वाला
सिर्फ
पसीने से नहा रहा है !
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109- बाढ़
खून आदमी का
ख़तरे के निशान से
कितना ऊपर
हो गया है,
क्रोध, आक्रोश
और मानसिक तनाव में
आदमी,
डूब गया है !
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110- पहुँच
लोमड़ी की तरह
आज तक बस
मतपेटी तक पहुँच पाये हैं,
हिस्से में हमेशा
आम नागरिक के
सिर्फ
खट्टे अंगूर आये हैं !
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111- सूखा
देश में
सूखा क्या पड़ गया,
आदमी का आज
पानी उड़ गया !
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112- सूली
आज भी
उसे मालूम है
उस दिन भी उसे मालूम था,
कीलें बनाने,
और ठोकने वाला
सिर्फ
आदमी था !
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113- सज़ा
घिस-घिस कर
किसी दिन
ख़त्म हो जाती है,
मिटा देने की
सज़ा तो,
रबर भी पाती है !
-रमेशकुमार भद्रावले
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1 comment:
baht khub ..
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