18 December 2005

शब्द प्राणायाम- 06-11

06- चींटी और कबूतर

तिनके का सहारा देकर
डूबती चींटी को
कबूतर ने बचा लिया,
स्वार्थ की एक बूँद में
आज
डूब गया है आदमी



















*****

07- उल्कापात

धूम्रपान,
कभी-कभी
चाँद तारे भी करते हैं,
ऐश-ट्रे
समझकर गुल
धरती पर
गिरा देते हैं!
















****


08- साँचा

तराशी हुई
संस्कृति
दो शब्दों में
सँवर गई,
कर्त्तव्य में रामायण
कर्म में,
गीता ढल गई!
















*****

09- कर्म

बादल,
अँगुलियों की मेहनत के
जब,
उमड़-घुमड़ के आते हैं
लक्ष्मी के फोटो जैसी
दौलत,
हथेली से बरसाते हैं!

















****


10- कटौती

देश को
फिर से हमें
सोने की चिड़िया
बनाना है,
कटौती के स्र्प में
चिड़िया के पर
नहीं लगाना है!

















****


11- बाल-विवाह

चलन,
बाल-विवाह का
समाज में
क्या हो गया,
अंडे से निकला चूजा,
दूल्हा हो गया !



















****
-रमेशकुमार भद्रावले****



No comments: