71- बदलाव-२
दायरा
सुरक्षा का
क्या
इतना बढ़ जायगा,
सास को
अब,
बहू जलायेगी
कानून,
बचा ले जायगा !
*********
72- अंतर
कुछ लोग
ज़िन्दगी भर
झूठ बोल-बोल कर
पेट भरते रहे,
कुछ मेहनत कर-कर के
भूखे रहे !
*******
73- बाबू
मुहँ और मतलब
देखकर,
आदमी-सा
काम का आदी हो जायगा,
दिल
जिस दिन,
कम्प्यूटर में डल जायगा !
*******
74- प्रजातंत्र
बिना तालमेल के
बस, अपना
झंडा गाड़ दिया,
मतभेदों की खटाई ने
दूध-सा,
राजनीति को आज
फाड़ दिया !
********
75- वैभव
चाँद पर
धब्बा जो पड़ गया,
गोरे मुख पर
काले धंधों का
तिल जैसा,
सम्मान बढ़ गया!
-रमेश कुमार भद्रावले
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दायरा
सुरक्षा का
क्या
इतना बढ़ जायगा,
सास को
अब,
बहू जलायेगी
कानून,
बचा ले जायगा !
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72- अंतर
कुछ लोग
ज़िन्दगी भर
झूठ बोल-बोल कर
पेट भरते रहे,
कुछ मेहनत कर-कर के
भूखे रहे !
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73- बाबू
मुहँ और मतलब
देखकर,
आदमी-सा
काम का आदी हो जायगा,
दिल
जिस दिन,
कम्प्यूटर में डल जायगा !
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74- प्रजातंत्र
बिना तालमेल के
बस, अपना
झंडा गाड़ दिया,
मतभेदों की खटाई ने
दूध-सा,
राजनीति को आज
फाड़ दिया !
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75- वैभव
चाँद पर
धब्बा जो पड़ गया,
गोरे मुख पर
काले धंधों का
तिल जैसा,
सम्मान बढ़ गया!
-रमेश कुमार भद्रावले
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