31 December 2005

शब्द प्राणायाम - 76 - 80

76- परम्परा


साधू के वेश में
सीता का हरण
क्या हो गया,
विश्वासघात के रावण का
आज,
चलन हो गया!




















77- सफाई


अफसर,
कितना ही बड़ा हो
झाडू तो लगायेगा,
कचरा चेहरे का
रोज़ सबुह
ब्लेड,
से हटायेगा !



















******


78- पानी-फेरना


मिटाने के लिए,
सदियों से
आदमी,
ठस-ठस पीता है,
रोटी खाकर
भूख पर
पानी,
फेरता है !




















*******


79- आँसू


नकल,
रोती आँखों की
वह भी
कर रहा है,
गर्मी में
बूँद-बूँद
नल,
टपक रहा है !




















*******


80- भाग्य


काश,
कड़वे बबूल में भी
भगवान, आम देता,
बो कर,
पेड़ कोई भी
आदमी,
फल मीठा खा लेता !



















-रमेश कुमार भद्रावले

********



No comments: