01- प्राणायाम
घोंघा,
बीमारियों का
जीवन-समुद्र में
चलता है,
स्वास्थ्य जैसा
मोती,
योग और प्राणायाम की
सीपी में,
पलता है!
02- अकाल
कुछ लोग
भूख से मर
रहे हैं,
कुछ
भूख के लिए
मर रहे हैं!
03- रोटी
रोटी की ज़िन्दगी
आज,
कितनी कम हो गई,
बनी,
तवे पर चढ़ी
और
ख़त्म हो गई!
04- सिकन्दर
दुनिया को
जीतने की धुन में
फिर एक
सिकन्दर निकल गया है,
हर चीज में झंडा
मिलावट का
गड़ गया है!
05- सफलता
जाकर चाँद पर
आदमी,
मिट्टी ले आया है,
आज तक
आदमी, आदमी तक
नहीं पहुँच
पाया है!
-रमेशकुमार भद्रावले
घोंघा,
बीमारियों का
जीवन-समुद्र में
चलता है,
स्वास्थ्य जैसा
मोती,
योग और प्राणायाम की
सीपी में,
पलता है!
02- अकाल
कुछ लोग
भूख से मर
रहे हैं,
कुछ
भूख के लिए
मर रहे हैं!
03- रोटी
रोटी की ज़िन्दगी
आज,
कितनी कम हो गई,
बनी,
तवे पर चढ़ी
और
ख़त्म हो गई!
04- सिकन्दर
दुनिया को
जीतने की धुन में
फिर एक
सिकन्दर निकल गया है,
हर चीज में झंडा
मिलावट का
गड़ गया है!
05- सफलता
जाकर चाँद पर
आदमी,
मिट्टी ले आया है,
आज तक
आदमी, आदमी तक
नहीं पहुँच
पाया है!
-रमेशकुमार भद्रावले
2 comments:
jindgi hi jindgi ko tohfa hain ham yah mili yahi kaafi hain,....Arjun Sisodia
सुन्दर विचार पूर्ण कविताएँ नई तरह से।
- शून्य आकांक्षी
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